मैं कभी पागल हो जाऊं
तो बस मुझे उसके दरबार छोड़ दो।
ये आखरी ख्वाइश होगी मेरी
बस मुझ पर ये एहसान कर दो।
हर पल में उसका नाम,
मेरे नाम के साथ जोड़ दो।
मेरी बरबादी की खुशी भी
कोई उसके शहर जाके बोल दो।
मेरा सिना जल रखा दर्द से,
कोई उसको ये खत दे दो।
वो चुमले इस खत को,
कोई ऐसी दुआ कर दो।
दरिया इश्क़ के उसके ,
कहीं अलावा मैं डूबा नहीं
ये खबर कोई उसके कान में बोल दो।
मजार बन जाए मेरी उसकी वजह से,
कोई ऐसी ज़मीन का मुकदमा दर्ज़ कर दो।