#100th
मैं अब भी वही हूँ।
जो कुछ सालों पहले थी,
जब तुम से पहली बार मिली थी।
बस कुछ साल चढ़े है,
दो-चार सफ़ेद बाल चढ़े है।
सूर वही, पर कुछ ताल चढ़े है।
अच्छे से ठीकठाक, और
वहाँ से बेहतरीन तक पहोंचे;
ऐसे कुछ हाल चढ़े है।
और तुम बताओ, तुम
पर क्या क्या कमाल चढ़े है?
© लीना प्रतीश