#क़ाफिया ➖ # आ
# रदीफ ➖ # जाए
#विधा ➖ #पद्य_ग़ज़ल
#मापनी ➖ # 2221 2221 2221
ग़ज़ल
रूह के चैन का रस्ता, भी निकाला जाए।
कैसे आदर हो पड़ोसी का, ये सोचा जाए।।
कैसे इस बात से दिल तेरी, ये सहमत हो जाए।
हुकुम ये है , के कोई ख्वाब , ना देखा जाए।।
रूबरु ना सही, नींदों में तो आने दीजै।
ख्वाब को ख्वाब में आने से न रोका जाए।।
तब कहीं फैसला देने की जसारत करना।
पहले झगड़े की बिना क्या है ये समझा जाए।।
मित्रता इसी को कहते हैं सुनो मित्र मेरे।
मित्र को मित्र की कोताही पे टोका जाए।।
थक के आया हूं सफर से मुझे पानी तो पिला।
इतना आराम तो दे ऐ-दोस्त के बोला जाए।।
रौशनी चाहिए हर घर में उजालों के लिए।
ज्ञान "ज्ञानेश" किताबों में ना रखा जाए।।
ग़ज़लकार
ज्ञानेश्वर आनंद "ज्ञानेश"
किरतपुर जिला बिजनौर।
9719677533
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