जिंदगी के इस डोर पर थक गए अभी
कहा जाना था वो भी भूल गए सभी ।
मंजिल ही नाप ना सका कोई खुद की
तो कहा खुशियां मिलेगी सुख की ।
यूं तो इंसान खुद को ज्यादा होशियार समजता है
लेकिन वक्त के सामने खुद हार जाता है ।
धुंडने गया था हंसी जहां लगा उसको खुशी देंगे सभी
पर वो तो बेबस इंसान थे भूल गया था वो तभी ।
सीख गया वो जिंदगी जीना, न था इसके पास जब चारा
अभी में और में ही हूं वो समझ गया वो बिचारा ।