आकर के यूं न जाओ , मेरी जिंदगी से तुम
सांसे रहेंगी चलती , हो जाऊंगा मैं गुम
क्या - क्या नहीं सहा है , पाने के लिए दिलवर
तुम मिल गए हो मुझको , अब कुछ न चाहिए
आसमान से भी ऊंची , मेरे प्यार की उड़ान
जमीं पे पांव मेरे , जमें हैं इस तरह
तुम हो तो सारी दुनिया , रंगीन है मेरी
दिखते नहीं हो जिस दिन , दुनिया वीरान लगती
मेरी चाहत पे भरोसा कर , मेरा प्रेम आसमानी
उजड़े भले ये दुनिया , इश्क मेरा चमन रहेगा
मिलकर के आओ हम तुम , छेड़े प्यार का तराना
खिले सुमन जहां में , फैले सुवास इसकी
प्यारे इस जहां में , है प्यार सबको करना
बिना प्रेम के ये दुनिया , लगती सरायखाना

#आसमानी

Hindi Shayri by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111497020
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