न तो हूं मैं कोई आसमानी पंछी,
जो पंख फड़फड़ा उड़ जाऊंगी।
न ही हूं कोई चौपाया,
जो अपनी मर्जी से किधर भी मुड़ जाऊंगी।
मैं तो हूं एक अबला नारी,
जो तुम्हारी मर्जी के बिना,
घर से बाहर कदम भी कैसे रख पाऊंगी।
#आसमानी

Hindi Poem by Pragya Chandna : 111497005
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