Hindi Quote in Story by Shivani Verma

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                                    वारिस

उदास बैठी पीहू को चंदन पीछे से आकर गोद में ले लेता है और जेब से उसकी पसंद की चॉकलेट निकालकर देता है, पर पीहू फिर भी खुश नहीं होती है। ऑफिस से घर पहुँचते ही चंदन ने महसूस किया कि रोज चहकने वाली उसकी पांच वर्षीय प्यारी नटखट बेटी पीहू, कई दिनों से उदास रहने लगी है और जब-कब भगवान के आगे कुछ बुदबुदाती रहती है।

क्या बात है बेटा...मुझसे नाराज हो क्या??? चंदन पुचकारते हुए उसे घर के आंगन में लेकर चले आये जहाँ उनकी माँ फोन पर और गर्भवती पत्नी घर के कामों में व्यस्त थी।

"पापा ये बालिश क्या होता है???

चंदन बारिश समझकर आसमान की ओर इशारा करते हुए बोले "जब ऊपर आसमान से पानी गिरता है, तो उसे बारिश कहते हैं।"

"नहीं पापा.....बालिश नहीं वालिश!!!

"वारिस....क्यों बेटा आप क्यों पूछ रही ही वारिस के बारे में बेटी के मुँह से इतने वजनदार शब्द सुनकर चंदन का माथा ठनका।

"पापा...दादी कहती हैं कि तुम इस घर की बालिश नहीं हो.... तुम रोज भगवान जी से कहो कि हमारे घर मेरा भाई आ जाए, तो दादी मुझे ज्यादा प्यार करेंगी, इसलिए अब मैं रोज दादी की तरह पूजा करती हूँ।"

पहले भी कई दफ़ा चंदन पत्नी के मुँह से माँ की ऐसी बातें सुन चुका था पर उसने ज्यादा गौर न किया पर आज नन्ही बेटी की बातें उसे चुभ गयीं।

"माँ ये सब क्या है????"

"हाँ तो कुछ गलत थोड़े ही कहा है। ये तो पराई है। पोते का मुँह देख लूं तो जीवन सफल हो जाए।"

चंदन गुस्से से माँ से उलझ पड़ा " बच्चों से कोई ऐसी बातें करता है। पीहू ही मेरी वारिस है। आने वाला बच्चा लड़का हो या लड़की, मेरी हर एक चीज़ पर दोनों का समान अधिकार होगा। आज के बाद पीहू से ऐसी घटिया बातें कोई नहीं करेगा।" कहकर चंदन पीहू को लेकर बाहर निकल गया और माता जी फिर से बहू को बेटा पैदा करने की हिदायत देने लगी।

शिवानी वर्मा
शांतिनिकेतन

Hindi Story by Shivani Verma : 111476076
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