रात्रि रचना
ये बूंदे भिगाए ,
हर ज़र्रे को।
खुशियां खिलाए हर चेहरे को।
वो ठंडे एहसास
गर्म करे दिल को।
रास्ते दिखाए बेह के
क्या कल्प को।
थामे जब बारिश
तो थम जाए धड़कन।
दुआ माने दिल
फिर से पिघलने को।
काबिल है बादल
अभी बरस जाए,
राह देखे पगला
बिजली कड़कने को।