#Kavyotsav2
नया फलसफ़ा
ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो
वक़्त फिसलते रेत की मानिंद गुज़री जा रही
कुछ मुमकिन लम्हें समेटो कुछ को साथ करो
आंधियां बिखेर दे सब कुछ इससे पहले ही
रिश्तों की कुछ मिट्टी लो नए पौधे तैयार करो
कटु वाणी को अब करो विदा तुम
आओ
मिल मधुर वचन अमृत तैयार करो
आओ!
ज़िंदगी जीने का नया फलसफ़ा तैयार करो
कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी बात करो.
कीर्ति प्रकाश