क्यों ना आज में जियो
कल की क्यों पहवाह
जिंदगी चलती रहेगी
रफ्ता रफ्ता
आगे की क्या सोचना
मुट्ठी बंद करके आए थे
जहां से जाते वक़्त रह
जाती खुली की खुली
क्यों कल के लिए आज
खराब करू
क्यों ना आज खुद से रूबरू
क्यों ना करे अपनो से गुफ्तगू
क्यों ना करे पूरी करे
लंबे अरसे से अधूरी आरज़ू
#आगे