"जिंदगी हम तेरे मजदूर है"
फिर भी खुशी से"चूर"है,
दिल मे बहुत ही"आस"है!
अपने लक्ष्य की"तलाश"है!!
मोड़ हो कोई यहाँ पर,
हर डगर"आसान"है!
सुबह है या"शाम"है,
धूप है या"छाँव"है!!
"चलने में हम"मशहूर है"
"जिंदगी हम तेरे मजदूर है"
बाँटते है"प्यार"और खुशिया,
अपनों से मिलने को तरसती
हैं "अँखियाँ"
याद आती है बहुत मां बाप बूढ़ी
"बच्चियां"
आँख में आंसुओं का"रिसाव"है,
आज हम बच्चों से अपने"दूर"है!!
"जिंदगी हम तेरे मजदूर है"
न तो हम मजबूर है, न ही"बेकसूर"है!
हम बहा करके पसीना,हरते सबकी"पीर"है!!
लेकर के औरों के बोझा,इसमें मज़ा
"भरपूर" है!!
"जिंदगी हम तेरे मजदूर है"
-आशीष सिंह