Quotes by vikram kori in Bitesapp read free

vikram kori

vikram kori

@vikramkori
(971)

‎🌹 Part 6
‎“उसके साथ खामोशी भी
‎सुकून देती है,
‎शोर तो दुनिया करती है…” 🌙

‎🌹 Part 5
‎“मोहब्बत में शर्तें नहीं होती,
‎बस एक नाम होता है
‎जो दिल हर धड़कन में लेता है…” 💖

‎🌹 Part 4
‎“उसका ख्याल ही
‎मेरे चेहरे की मुस्कान बन जाता है,
‎और लोग पूछते हैं—
‎क्या बात है?” 😊💓

‎🌹 Part 3
‎“हमारी कहानी शब्दों की मोहताज नहीं,
‎बस एक नज़र
‎और दिल सब समझ लेता है…” ✨

‎🌹 Part 2


‎“उसकी एक झलक ही काफी है,
‎दिल को ये यकीन दिलाने के लिए
‎कि मोहब्बत आज भी ज़िंदा है…” ❤️

‎🌹 Romantic bites

Part 1

‎“वो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं,
‎मेरी ज़िंदगी की वजह है…” 💞

।।अधूरा सा वादा।।
‎वह हर सुबह उसी बस स्टॉप पर मिलती थी,
‎हाथ में किताब और आँखों में गहरी खामोशी।

‎मैं कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया
‎कि उससे अपने दिल की बात कह सकूँ,
‎बस रोज़ उसी सीट पर बैठकर
‎उसके आने का इंतज़ार करता रहा।

‎एक दिन वह नहीं आई।
‎न अगले दिन, न उसके बाद कभी।

‎बस उसकी कही एक बात याद रह गई—
‎“कुछ रिश्ते कहे बिना ही पूरे हो जाते हैं।”

‎आज भी मैं उसी बस स्टॉप पर खड़ा होता हूँ,
‎शायद इस उम्मीद में नहीं कि वह लौट आए…
‎बल्कि इस डर में कि
‎मेरी अधूरी मोहब्बत
‎कहीं पूरी न हो जाए।

Vikram kori..

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"जब आप अपनी सोच को सकारात्मक रखते हैं, तो अच्छी चीजें खुद-ब-खुद आपकी ओर खिंची चली आती हैं।"


‎नाराज़ दिल , फिर से बही मंजिल

‎पहला पड़ाव था, वो सपनों का सफर,
‎ तू थी करीब, मैं था तेरा हमसफर।
‎ मैंने कहा था, "उस राह पर ना चल,
‎अंधेरे हैं वहाँ, तेरा होगा बुरा हाल।"

‎पर तूने ना मानी, मेरी कोई बात,
‎परवाह ना की, हर दिन हर रात।
‎वो अजनबी साया, तुझे खींचता रहा,
‎ मेरे दिल का हर टुकड़ा, बिखरता रहा।

‎देखते ही देखते, तू दूर हो गई,
‎ मेरी हर पुकार, अनसुनी हो गई।
‎मैंने भी फिर, एक नई राह चुनी,
‎मिली इक हमदम, कहानी नई बुनी।

‎वो अजनबी संग, तेरा रिश्ता बना,
‎ मेरी दुनिया में, इक नया रंग भरा।
‎ दिन बीते, महीने ढले, साल गुजरे,
‎ हम दोनों अपनी दुनिया में सँवरते।

‎पर वक़्त की करवट, अजीब थी बड़ी,
‎ टूटी वो दुनिया, जो थी हर पल खड़ी।
‎ना वो साथ रहा, ना वो कसमें रहीं,
‎ तेरी आँखों में फिर, उदासी वही।

‎और इधर भी, कहानी कुछ ऐसी हुई,
‎ मेरी भी राहें, अकेली सी हुईं।
‎ टूट गए रिश्ते, वादे वो सारे,
‎ फिर वही दिल, जो कभी थे हमारे।

‎तब मिली वो निगाहें, जिनसे थी शिकायत,
‎अधूरी कहानियाँ, अधूरी इबादत।
‎ दोनों के दिल में, था दर्द पुराना,
‎लगा कि फिर से, मिल गया ठिकाना।

‎रूठें-मनें, फिर एक हुए हम,
‎वही पुराने रास्ते, वही पुराने गम।
‎ सीखा था सबक, तन्हाई के साथ,
‎ शायद यही थी, हमारी हर बात।

‎नाराज़ दिल, फिर से वही मंज़िल,
‎ रिश्तों की कश्ती, हुई फिर हासिल।
‎शायद प्यार वही है, जो लौट कर आए,
‎सारी गलतियाँ भूल, हमें अपनाए।


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