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🌹 Part 6 “उसके साथ खामोशी भी सुकून देती है, शोर तो दुनिया करती है…” 🌙
🌹 Part 5 “मोहब्बत में शर्तें नहीं होती, बस एक नाम होता है जो दिल हर धड़कन में लेता है…” 💖
🌹 Part 4 “उसका ख्याल ही मेरे चेहरे की मुस्कान बन जाता है, और लोग पूछते हैं— क्या बात है?” 😊💓
🌹 Part 3 “हमारी कहानी शब्दों की मोहताज नहीं, बस एक नज़र और दिल सब समझ लेता है…” ✨
🌹 Part 2 “उसकी एक झलक ही काफी है, दिल को ये यकीन दिलाने के लिए कि मोहब्बत आज भी ज़िंदा है…” ❤️
🌹 Romantic bites Part 1 “वो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं, मेरी ज़िंदगी की वजह है…” 💞
।।अधूरा सा वादा।। वह हर सुबह उसी बस स्टॉप पर मिलती थी, हाथ में किताब और आँखों में गहरी खामोशी। मैं कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया कि उससे अपने दिल की बात कह सकूँ, बस रोज़ उसी सीट पर बैठकर उसके आने का इंतज़ार करता रहा। एक दिन वह नहीं आई। न अगले दिन, न उसके बाद कभी। बस उसकी कही एक बात याद रह गई— “कुछ रिश्ते कहे बिना ही पूरे हो जाते हैं।” आज भी मैं उसी बस स्टॉप पर खड़ा होता हूँ, शायद इस उम्मीद में नहीं कि वह लौट आए… बल्कि इस डर में कि मेरी अधूरी मोहब्बत कहीं पूरी न हो जाए। Vikram kori..
"जब आप अपनी सोच को सकारात्मक रखते हैं, तो अच्छी चीजें खुद-ब-खुद आपकी ओर खिंची चली आती हैं।"
नाराज़ दिल , फिर से बही मंजिल पहला पड़ाव था, वो सपनों का सफर, तू थी करीब, मैं था तेरा हमसफर। मैंने कहा था, "उस राह पर ना चल, अंधेरे हैं वहाँ, तेरा होगा बुरा हाल।" पर तूने ना मानी, मेरी कोई बात, परवाह ना की, हर दिन हर रात। वो अजनबी साया, तुझे खींचता रहा, मेरे दिल का हर टुकड़ा, बिखरता रहा। देखते ही देखते, तू दूर हो गई, मेरी हर पुकार, अनसुनी हो गई। मैंने भी फिर, एक नई राह चुनी, मिली इक हमदम, कहानी नई बुनी। वो अजनबी संग, तेरा रिश्ता बना, मेरी दुनिया में, इक नया रंग भरा। दिन बीते, महीने ढले, साल गुजरे, हम दोनों अपनी दुनिया में सँवरते। पर वक़्त की करवट, अजीब थी बड़ी, टूटी वो दुनिया, जो थी हर पल खड़ी। ना वो साथ रहा, ना वो कसमें रहीं, तेरी आँखों में फिर, उदासी वही। और इधर भी, कहानी कुछ ऐसी हुई, मेरी भी राहें, अकेली सी हुईं। टूट गए रिश्ते, वादे वो सारे, फिर वही दिल, जो कभी थे हमारे। तब मिली वो निगाहें, जिनसे थी शिकायत, अधूरी कहानियाँ, अधूरी इबादत। दोनों के दिल में, था दर्द पुराना, लगा कि फिर से, मिल गया ठिकाना। रूठें-मनें, फिर एक हुए हम, वही पुराने रास्ते, वही पुराने गम। सीखा था सबक, तन्हाई के साथ, शायद यही थी, हमारी हर बात। नाराज़ दिल, फिर से वही मंज़िल, रिश्तों की कश्ती, हुई फिर हासिल। शायद प्यार वही है, जो लौट कर आए, सारी गलतियाँ भूल, हमें अपनाए।
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