याद आई तो तेरी,नयन भर गए
हो के मुझसे खफा,तुम कहाँ चल दिये
लौट कर आइए,दिल परेशान है
इस परेशानी का,कुछ तो हल दीजिये
सामने आ के कह,दीजिये बेहिचक
जो भी शिकवे गिले,हैं सुना दीजिये
छोर चुनरी का यूं,हाँथ से खींच कर
उंगलियों को न यूं,होंठ पर फेरिये
चूड़ियों की खनक का,इशारा है ये
हाँथ सुने हैं मेहंदी,लगा दीजिये
लौट कर आइये,दिल परेशान है
इस परेशानी का,कुछ तो हल दीजिये
तुम खफा हो तो,मेरी खता बोलिये
जो खता है मेरी,तो दफा बोलिये
अपनी पलकों से,आँखों को खोलो जरा
देखिये देखिये मैं,खड़ा हूँ यहाँ
अपनी जुल्फों को,ऐसे न झटकों यहां
माँग सुनी है इसको,भरा लीजिये
लौट कर आइये,दिल परेशान है
इस परेशानी का, कुछ तो हल दीजिय
आशीष सिंह