"कोरोना काल"
"प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
धरा पे जो सवाल है,विश्व भी"बेहाल"है!
मन बहुत अचेत है,कोई नही"सचेत"है!!
समय की यह लपेट है,कोरोना की"चपेट"है!
अनजान समझ कर के,मुझसे कर रहा"आखेट"है!!
निर्बल समझ कर मेरा,बनना चाहता वो"काल"है!
"प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
यह राम कृष्ण की धरा,नही चलेगा"बस"तेरा!
अनन्त कोटि देवताओं,ने यहाँ"जीवन"धरा!!
रुका नही झुका नही,अड़ा रहा"डिगा"नही!
यहाँ की है परंपरा वीरों की है"यह"उरबरा!!
भौतिक तापों से यहाँ,रक्षक स्वयं"महाकाल"है!
"प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
विज्ञान भी अभिशाप है,मानव का भी"उपवाश"है!
फिर भी नही परवाह है,न ही कोई"बदलाव"है!!
महामारी का प्रभाव है,सोशलडिस्टेनसिंग का"अभाव"है!
पूरे विश्व मे तनाव है, यहाँ मृतु भी अकाल है!!
"प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
युवा ये मन मे ठान कर,महाकाल का फिर"जप"कर!
जीवन की ईर्ष्या त्याग कर,पुलिस पर"अभिमान"कर!!
डॉक्टर नर्स सफाई कर्मी, कोरोना वीरों का सम्मान"कर!
घर मे रहें यह मान कर,जीवन का हर पल"दान"कर!!
गर ढिग गया मेरा कदम,जीना भी अब"मोहाल"है!
भारतीय योद्धाओं का झुकना,देश का"अपमान"है!!
झुकना नही रुकना नही,चलना मुझे हर"हाल"है!
हम काल के कालों के वंशज,के गले के"ब्याल"है
"प्रचण्ड चंड ज्वाल है!!
आशीष सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश