"जाना है ससुराल"
छोड़कर बाबुल का अँगना,
मां की गोदी का वो पलना!
जाना है ससुराल,
ये कैसा ब्यवहार
छूटा मां का प्यार
जाना है ससुराल
पापा की मैं बहुत दुलारी, मां की बगिया की फुलवारी!!
छूट गईं वो सखियाँ सारी,
बचपन की दो तीन थी न्यारी!
मतलब का संसार,
ये कैसा ब्यवहार
छूटा मां का प्यार
जाना है ससुराल
छूट गया सब खेल खिलौना,
भाई बहन से लड़ना झगड़ना
मां के आँचल में फिर छुपना!!
मां को सब स्वीकार,
मां का है उपकार
छूटा मां का प्यार
जाना है ससुराल
पापा ने जो लाड़ लड़ाया,
मेरे हर सपने को सजाया
देख दुःखी मुझको मुरझाया
मेरी खुशी पे वो मुस्काया
आज उसी के घर से मुझको
जाना है पिय के द्वार
ये कैसा ब्यवहार
छूटा मां का प्यार
जाना है ससुराल
आशीष सिंह