बुरा वक्त है टल जाएगा,
नया सूरज नयी दिशा दिखाएगा।
लेकिन उसके लिए तुझे धीरज धरना होगा,
नयी सुबह की प्रतीक्षा करना होगा।।
माना परिस्थितियां विषम है,
विचलित हुआ तेरा मन है।
कल का सवेरा होगा,
इस कशमकश में तेरा मन है।।
आज देश-प्रेम ही तेरा सर्वोपरि धर्म है,
इससे बड़ा ना कोई तेरा कर्म है।
भारत मां को इस संकट से तू ही बचाएगा,
आख़िर तू ही सच्चा संकट मोचन कहलाएगा।।
राष्ट्र की स्थिति दिनों-दिन दिन हुई दयनीय,
साथ न देते कदम निंदनीय।
बंद मस्तिष्क के पट खोल ज़रा,
अन्यथा रिक्त हो जाएगा सब भरा-भरा।।
माना संक्रामित हुई हवा है,
पर दूषित न बना अपनी मानसिकता।
जो देश हित के लिए उचित है,
तू बस वो मापदंड अपना।।
प्रतीत होता है,प्रकृति ने तुझे चेताया है,
इसके साथ खिलवाड़ का परिणाम समक्ष आया है।
अब तो तुझे संयम धरना होगा,
हर जगह संतुलन करना होगा।
अगर ये खिलवाड़ यूं ही चलता जाएगा,
समकालीन दृश्य बारम्बार आएगा।।
मानसी शर्मा