हार मेरे लिए कोई नई बात नहीं हैं...!!
लेकिन हार ही जीवन नहीं होनी चाहिए...!!
है ना...??
हां... मैं हार गई हूं... सब तरह से...!!
पर हार को इतनी जल्दी कैसे स्वीकर किया जाए...??
मैं तो जीतने की कोशिश कर रही थी... हारने की नहीं...!!
इस हार की जिम्मेदार कौन हैं...??
मैं क्यूं हार रही हूं...??
किस केलिए हारे...??
आख़िर हार के मुझे मिला क्या...??
ऐसे कई सवाल अनुत्तरित रह गए हैं...!!
या इन सवालों के जवाब ही नहीं हैं...!!
कौन जानता है...?? शायद ए सवालों का जवाब सवाल ही हो........!!