एक ख़्वाब दिखा दे सजना,
कि रात में तेरी बाँहें और,
सिर्फ़ ये बिस्तर हो अपना,
एक ख़्वाब दिखा दे सजना।
इन रंग में डूबीं जाए,
वो रंग में मैं रंग जाऊँ,
तेरा नाम लिख-लिख कर,
बादल संग भिजवाऊँ।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
रास्ता तेरा ताकूँ,
फिर थककर मैं सो जाऊँ,
द्वार पर तेरे आने का,
आहट सुन चली आऊँ।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
भीगे बदन पर मेरे,
तू भी लिपट जायें,
कुछ मेरी ख़ामोशी में,
तू भी ख़ामोश हो जायें।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
रात का चंदा जब भी,
तारो से शर्मायें,
तू उनको भी मेरा,
नाम झूम के सुनायें।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
आँखे जब भी मेरी,
अस्क़ो से भर जाएँ,
उन आवो को तू तेरे,
होठों से सरकाएँ।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
बातें मेरी जब भी,
थोड़ी काम पड़ जायें,
तू अपनी चादर को,
मेरी ओर बढ़ायें।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
सो जाऊँ मैं जब रातों को,
तू सपनो में आयें,
ना सोयें ना सोने दे,
यूँही मुझे जगायें।
एक ख़्वाब दिखा दे सजना...
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