Hindi Quote in Poem by saGar

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थक गया हूँ मैं भले ही
मैं मगर हारा नहीं हूँ...
वक़्त हो कितना भी कातिल
वक़्त का मारा नहीं हूँ !!

दीप मेरा आँधियों में लड़खड़ाता ही सही
पर जल रहा है....
हौसला बोझिल हुआ सा डगमगाता ही सही
पर चल रहा है !

रौशनी की लकीरें कुछ दिखें या न सही ,
घबरा के दम को घोंट लूं , मैं वो अँधियारा नहीं हूँ
थक गया हूँ मैं भले ही, मैं मगर हारा नहीं हूँ !!

नाव मेरी इस भंवर में फस चुकी हो भले
डूबी नहीं है...
डाली डाली बागबाँ की छितरी पड़ी हो भले
सूखी नहीं है !

ज्वार ऊँचा हो भले आकाश से, होता रहे
इस प्रलय में डूब जाऊं,
सागर का वो किनारा नहीं हूँ ...
थक गया हूँ मैं भले ही, मैं मगर हारा नहीं हूँ !!

- ( सागर 2010 )

Hindi Poem by saGar : 111337339
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