ग़ज़ल
खुशी का है परचम तिरंगा हमारा।
किसी से नहीं कम तिरंगा हमारा।।
कोई आंख सरहद पे जब भी उठी है।
दिखाता रहा दम तिरंगा हमारा ।।
भले दोस्तों का ये है दोस्त लेकिन।
दे दुश्मन को मातम तिरंगा हमारा।।
दिखाता है भारत का ये भाईचारा।
सभी के लिए सम, तिरंगा हमारा।।
कभी राम ने अपने हाथों में थामा।
कभी थामे अकरम तिरंगा हमारा।।
सिपाही का ताबूत देखा तो लिपटा।
समेटे हुए ग़म तिरंगा हमारा।
सुहाना वो पल आज आया है रावत।
कि फहराएं अब हम तिरंगा हमारा।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
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