बुद्ध की बातें हैं अच्छी-अच्छी
कोई बुद्ध ही करे तभी अच्छी
खूनी आंखें कैसे दें दिलासा
क़ातिल मुंह बातें क़त्ल की अच्छी
अक्स-ए-ज़िंदगी से पैदा मानी
जो है सो यही, बुरी या अच्छी
कब तक चलें रस्सी पर इस तरह
बदल कर हो तस्वीर तो अच्छी
श्यामल आएगा कब वह ज़माना
शुरू हों सकें मुलाकातें अच्छी
--- © श्याम बिहारी श्यामल