कौन सी शुभकामनाएं ?
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--महेश कटारे 'सुगम'
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कौन सी शुभकामनाएं
व्यर्थ न बुद्धू बनाएं
दिख रहीं हैं आपको क्या
शुभ कहीं संभावनाएं
कामनाएं हैं प्रदूषित
संक्रमित हैं भावनाएं
हर तरफ़ बढ़ने लगी हैं
वर्जनाएं वर्जनाएं
क्या बताओ कम हुई हैं
आमजन की यंत्रणाएँ
मुफ़्त में बंटने लगीं क्या
अस्पतालों में दवाएं
दफ्तरों में रुक गईं क्या
घूसखोरी की प्रथाएं
बंद थानों में हुईं क्या
बेबसों पर यंत्रणाएँ
क्या किसानों की हुईं कम
कुछ सुलगती वेदनाएं
कौन सी पूरी हुई हैं
राहतों की घोषणाएं
क्या बहारें आ गई हैं
जा चुकी हैं क्या ख़िज़ाएं
क्या हुआ बदलाव ऐसा
जिसकी हम खुशियां मनाएं