बेअसर हर इनायत, बेअसर हर बंदगी,
क्यों है इतनी बेरुखी, ऐ! ज़िन्दगी,
हर मोड़ पर गिला, हर मोड़ पर शिकवा,
किस खता की ये सजा है, ऐ ज़िन्दगी,
बस कर अब लेना इम्तिहाँ मेरी,
टूट गया हूँ, रहम कर ऐ! ज़िन्दगी
थक गया हूँ सफर करते करते,
सुकूँ का एक पल तो मयस्सर कर ऐ! ज़िन्दगी
बहुत किया तुझसे प्यार ऐ ज़िन्दगी
मगर बेवफाई तेरी रग रग में है ऐ ! ज़िन्दगी
उल्फ़त के बदले मिले बस ज़ुल्मो सितम,
क्या खूब सितमगर है तू, ऐ ज़िन्दगी,
साथ तेरे चलने की कीमत गर बेजारी ही है,
तो अब बस! तेरा साथ मैं छोड़ रहा हूँ, ऐ! ज़िन्दगी...