तुम कौन हो ?
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स्वर्ग से उतरी हुई तुम, अप्सरा हो या परी।
या मदिर सैलाब हो, अंगूर लतिका से झरी।।
वर्तिका से प्रकट होती, सी निराली रोशनी।
या थके राही की मंजिल, स्वर्ण फटिका मरमरी।।
सृष्टि का संगीत हो, या देव गृह जलता दिया।
या बहारों की थमी, मदमस्त घटिका रस भरी।।
कहकशाँ मुस्कान हो, या नील पट की चाँदनी।
या कि उतरी हो जहाँ में, मार रतिका मद भरी।।
गंग की उच्छल तरंगें, या जमुन जल धार हो।
या कि जन्नत द्वार वाली, कांति पटिका मरकरी।।
Kuber Mishra