◆◆क्यों ना कुछ गल्तियाँ माँफ कर दे हम◆◆
क्यों ना कुछ गल्तियाँ माँफ कर दे हम
दिलों से कुछ गिले साफ कर दे हम ।
जो चला गया उसे जाने दें,
उसे जाना पडा़ ; बस मान लें हम ।
क्यों ना कुछ शिकवे भुला दे हम
कुछ दर्द चुरा कर कुछ खुशी बाँट ले हम ।
धोखा उसकी फितरत नही मजबूरी रही होगी,
उसने सीखा नहीं निभाना; ये मान ले हम ।
कुछ वक्त पास बिठाकर उसे
क्यों ना उसकी भी शिकायतें सुन ले हम ।
थोड़ी मान लें गल्तियाँ ,थोड़ा समझा भी दें,
माँफ कर दे इस इंसान को ;भगवान नहीं है हम !
क्यों ना कुछ बातें भुला दे हम
अच्छी यादें बना ले फिरसे,सारे आँसू भुला दे हम ।
कितना छोटा है दुनिया का सफर,
चलो ना चलते हैं ; इसे हँस कर बिता ले हम ।
क्यों ना कुछ गल्तियाँ माँफ कर दे हम
दिलों से कुछ गिले साफ कर दे हम ।
जो लौट कर नहीं आया वो वक्त था,
क्यों ना नई खुशी माँग ले; बाँहे फैला कर उसे अपना ले हम ।