सोशल मीडिया के इस दौर में आजकल मनुष्य के सारे काम दिखावे के लिए ज्यादा हो गए हैं। दिनभर के कामों का कच्चा चिट्ठा सोशल साइट्स पर अपडेट किये बिना लोगों को चैन नहीं। तकनीक के बढ़ते कदमों के साथ ही इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है। जनवरी 2018 के आंकड़ों के अनुसार विश्व में 42% एक्टिव सोशल मीडिया यूजर्स हैं और यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

तमाम सोशल नेटवर्किंग साइट्स में से एक लोकप्रिय मोबाइल बेस्ड ऐप 'व्हाट्सऐप' भी है। 2009 में लॉन्च होने के साथ ही यह दुनियाभर में छा गया। 2014 में इसका अधिग्रहण अन्य लोकप्रिय सोशल साइट फेसबुक ने किया। भारत में 20 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। व्हाट्सएप के द्वारा टेक्स्ट मैसेज, वॉइस/वीडियो कॉल करने, चित्र व अन्य मीडिया फाइल शेयर करने की सुविधा उपलब्ध है। इसके लिए अपना मोबाइल नंबर रजिस्टर करना होता है। इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। हाल के दिनों में व्हाट्सएप ग्रुप परिवार/दोस्त/सहकर्मी/सहपाठी व एक जैसी विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने का बेहतर माध्यम बनकर उभरे हैं। इन सभी खूबियों के बीच कई समस्याएं भी पैदा हुई हैं। कई बार बिना आपकी जानकारी के ही कोई आपको किसी ग्रुप में जोड़ देता है। हाँ जुड़ने के बाद उसे तुरंत छोड़ने का अधिकार होता है, परंतु तब तक अनचाहे ही आपका मोबाइल नंबर ग्रुप के अन्य मेंबर्स के पास पहुंच जाता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए व यूजर्स को ज्यादा नियंत्रण देने के लिए व्हाट्सएप ने एक नया फीचर लॉन्च किया है। अब आपकी मर्जी के बगैर कोई आपको किसी ग्रुप में नहीं जोड़ सकेगा। यह आपके हाथ में होगा कि कौन आपको किस ग्रुप में जोड़ सकता है।
कार्यप्रणाली:
व्हाट्सएप में प्राइवेसी का यह नया फीचर 'सेटिंग्स' टैब में मिलेगा। वहां यूजर्स को ग्रुप में जुड़ने के तीन ऑप्शन मिलेंगे-नोबडी, माय कॉन्टेक्ट्स, एवरीवन।
*नोबडी, चुनने पर बिना आपकी अनुमति के कोई आपको किसी ग्रुप में नहीं जोड़ सकेगा। जोड़ने पर आपके पास अनुमति के लिए एक मैसेज आएगा, जिसे एक्सेप्ट या रिजेक्ट कर सकते हैं। तीन दिन में जवाब न देने पर स्वतः रिजेक्ट हो जाएगा।
*माय कांटेक्ट, चुनने पर वो लोग ही आपको ग्रुप में ऐड कर सकते हैं, जिनके नंबर आपके फोन में सेव हैं।
*एवरीवन, चुनने पर पहले की तरह कोई भी आपको किसी ग्रुप में जोड़ सकता है।