#KAVYOTSAB --2
#भावना प्रधान
मां
कोई पूंछे विदेश घूमना चाहोगे ,तो लंदन लिख देना...
पूंछे किस खुशबू में खोना चाहोगे ,तो चंदन लिख देना..
और कहे, चारों धाम करा के लाता हूं मैं चल यारा.....
तो करके ना ,अपनी मां के चरणों में वंदन लिख देना।
करती रही जीवन भर , कोई काम न आया..
करने वालों की सूची में ,कभी नाम न आया..
अब लेटी है चिता पर , लिये चिंता की लकीरें.
चलो मां के हास्से में, आखिर आराम तो आया।
हर जगह पसरा है सन्नाटा ,और खामोशी है...
किसका है कुसूर ,या मेरी परवरिश ही दोषी है...
इस घर का परिंदा, आसमां में उड़ गया ऐसे ,
फिर देखने न आया, मां कहां है ? कैसी है?
होंठों से नहीं , आंखों से जो कहो ,इकरार वो होगा
हर इक आहट पे दिल धड़के इंतजार वो होगा।
बच्चे स्कूल और पिता उस रोज आॅफिस नहीं जाते,
मिले छुट्टी रसोई से माओं को भी ,इतवार वो होगा
माँ को तज तीरथ चले ,कभी सफल ना होय।
चारों धाम चरण बसे,माँ से बड़ा न कोय।
माँ से बड़ा न कोय,गोविंद शीष झुकावे ।
त्रिलोकी स्वामी भी, उ पे बलिहारी जावें।
ममता समझ सके न , करते फिरें तीरथ हज।
मूर्ख चले ऊवरन, अनाथालय माँ को तज।।
*सीमा शिवहरे सुमन*
भोपाल मध्यप्रदेश