एक फौजी धर्म उनका,
ना कोई भी जात है,
जाँ लुटा दे चुटकियों में,
दिल है या फौलाद है |
ना कोई है होली और,
ना ही कोई दिवाली है,
कंधो पे बस बोझ उनके,
देश की रखवाली है |
ना कोई है ईद और,
ना ही कोई रमज़ान है,
लेके वो तो बैठे अपनी,
मुट्ठीयों में जान है |
दिल है उनका भी धड़कता,
उनका भी परिवार है,
फिर भी अपने देश पे वो,
करते जाँ न्योछार है |
वीर के उस दिल को यारों,
कौन समझ कभी पाता है,
मुल्क को रोशन करने खातिर,
खुद बाती हो जाता है |
ना कभी है चैन मिलता,
ना ही अमन मिल पाता है,
देश के उन वीरों को तो,
बस कफन मिल पाता है |
मैं प्रद्युम्न आज दिल से,
बात हूँ ये बोलता,
देखता ताबूत जब वो,
खून मेरा खौलता |
देशभक्ति के नाम पे हम,
भक्तिगीत पे झूमते,
देशभक्त तो है वो जो,
सरहद की तारें चूमते |
#kavyotsav2