निठल्ला मैं जो रहता हूँ
दोष दूँ भी तो किसको
किस्मत का हिसाब अजीब है मेरे
कोसता रहूँ मैं जिसको
खामखां लफ़्ज़ थक जाते हैं
मैं लिखता हर ठोकर
मुस्कुराता रोज़ दिखता मैं
मुस्कुराहट को खोकर
किस्मत बुरी नहीं है मेरी
मैं गलत समय पर जगता हूँ
रोता हूँ, आँसू पोंछता हूँ
फिर सब शुरू से करने लगता हूँ
#KAVYOSTAV -2