ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है
ना बीस का जोश
ना साठ की समझ
ये हर तरफ से गरीब होती है
ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है
सफेदी बालों से झांकने लगती है
तेज़ दौड़ो तो सांस हाँफने लगती है
टूटे ख्वाब, अधूरी ख्वाहिशे, सब
मुँह तुम्हारा ताकने लगती है
खुशी बस इस बात की होती है कि
ये उम्र सबको नसीब होती है
ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है
ना कोई हसीना मुस्कराके देखती है
ना नजरों के तीर फेंकती है
और आँख लड़ भी जाये जो गलती से
तो ये उम्र तुम्हें दायरे में रखती है
कदर नही थी जिसकी जवानी में
वो पत्नी अब बड़ी करीब लगती है
ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है
वैसै नजरिया बदलो तो
शुरू से शरुआत हो सकती है
आधी तो अच्छी गुज़री , आधी ओर बेहतर गुज़र सकती है
थोड़ा बालों को काला ओर दिल को हरा कर लो
अधूरी ख्वाहिशो से कोई समझौता कर लो
जिंदगी तो चलेगी अपनी रफ्तार से
तुम बस अपनी रफ्तार काबू कर लो
फिर देखिए ये कितनी खुशनसीब होती है
ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है
40 + मित्रों व परिवार को समर्पित !!!!
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All friends welcome in my friendship world