एक लडकी थी अनजानी सी, दुनिया में रेहकर भी जो अजनबी सी |
जाने क्या सोचा करती थी, पर सही राह पर चला करती थी |
खुश मीजाजी काम से काम रखने वाली, अपने में खोई रेहती थी |
न समझ आते दुनिया के दाव पेच, सब से जाना करती थी |
दुनिया इतनी खूबसूरत पर क्यु न देख पाते ये मेरी नजर से |
गीरते संभलते उठ खडा हो के काम में खोई रहा करती थी |
तभी अचानक आंखों से आंखें मीली और प्यार हो गया |
जाने कैसे कीस तरह इकरार हो गया, हम सोच ते ही रेह गए और प्यार हो गया |
पर वो चुलबुली नटखट बबली सी खो गई अपनी ही दुनिया में |
पर प्यार ने न पीछा छोडा आगे आगे तु चल पीछे पीछे में चला |
चल पडा अनजानी को जानने, अजनबी मुझको इतना बता दिल मेरा क्यु परेशान है ! देख के तुझको ऐसा लगे जैसे बरसो की पहेचान है !
बस फीर क्या था ! देखा इतनी भोली, इतनी मासुमियत आज के समय मुमकीन नहीं |
लगा यहां वहां लोगो से जानने इसे जानते है कौन है ये अजनानी जानी-पहचानी !
लोगो ने कहा जानते है पर पहेचानते नहीं, सब चल पडे साथ जानने |
एक के बाद एक हर कोई अपने अपने तरीके से जांचने परखने लगा |
चुलबुली नटखट बबली सब देखे पर कुछ केह न सके कहे भी कोई सच न सुन सके |
तक हार खामोश होती गई जुल्म उतने बढते गए, फीर लडी आर पार की लडाई |
जो समझते थे है ये ना समज दुनिया से बेखबर उसे समझाने लग पड़े |
फीर क्या था आर पार की लडाई थी समझ कर लोगो को समझा दिया |
समज थी पर हिम्मत न थी पर प्यार और ईश्वर पर भरोसा कर नीकल पडी |
घनघोर अंधेरा पर ईश्वर का हाथ थामे किनारे पर खडे प्यार से मीले चल पड़ी |
तेरी मेरी मेरी प्रेम कहानी है मुश्किल दो लफ्जोमे ये बयान हो पाए |
जब देखा प्यार भरे दिलने इतनी अच्छी, भोली, भला करने वाली है तो दुसरे को क्यु न दिखा !
किनारे से फीर अपने प्यार को धक्का दिया पानी में डुबोया और देखना चाहा कौन है अपना जो बचाने आता है !
कीतनी ही बार लोगों को बुलाया कोई आके बचा ले |
पर हर बार किनारे आती फीर धकेला जाता और सीखाया जाता ऐसे तैरा जाता और वो तैरना सीख गई |
अब वो लोगों को तैरना सीखा रही पर लोग अपने आपको नहीं बचा सकते वो भंवर में फसी को कैसे बचाने आते !
अब एक ही आस है बस तैर तैर थक गई किनारे पर जाकर आराम करना है |
लोग तो गड्डे में डुबे है न निकल पाते, पर भवर से निकल आया गई |...ॐD