जरा सा थम के मेंने देखा
एक ख्याल उदास सा बैठा था
ध्यान दिया तो बुजा सहसा
वो कुछ तेरे मेरे जैसा था
दुख उसका दूर करने को
सोचा चलो कुछ कर जाते है
एक हाथ तेरा एक हाथ मेरा
ऐसे जुला हम बनाते है
कुछ पल ऐसे सोचते
में वही पर रूक गया
और खुशी बाटने का प्लान
मेरा, में अचानक से भूल गया
जब तंद्रा टूटी और आया हॉश
तो देखा वो खयाल अब भी वही है
बातचीत हुई थोड़ी बहुत, इधर उधर
तब जाना वो रहता तो मुझ में ही है
मेने बोला चलो तुम को थोड़ा मजा दिलवाते है
मिल के हम दोनो चलो तुम्हे जुला जुलाते है
उसने आखिर समजाया वो खुद के लिए दुखी न था
पलटा में और जो देखा मुड़ के तो पीछे तू न था
ढूंढा मेने थोड़ा बहुत, इधर उधर
में भी हु खयाल भी है लापता बस तू ही है
अब हम दोनो ही वहा पर बैठे है
वो भी उदास और में भी उदास
थोड़ा बहुत लिखा है आज। अपने विचार प्रदर्शित करे।
चलो कमेंट सेक्शन में महफ़िल बिठाते है :)