पहले विदूषक को रूप बदलने....
के लिए रंग बदलना पड़ता था!!
वेश बदलना पड़ता था!!
आज कलयुगी मनुष्य...
कलयुगी चकाचोंध में...
इतना आगे बढ़ गया है कि...!!
सामने के घर में मरने वालो को...
श्रद्धांजलि दे आये..
वही उदाशीनत चहरा लिए...!!
बाजुमें ही शुभ प्रसंग पे...
३६ पकवान का भोज कर आये...
हँसता हुवा मुख ले के...!!
और वही लिबाज में...
रास्ता पार करके..
मंदिर प्रभु दर्शन कर आये...
गम्भीरं मुख मुद्रा ले के...!!
आपको नही लगता...
विदूषक!!!...
से भी रंग बदलने में...
आगे बढ़ गया...
आजका कलयुगी...
छद्मधारी मनुष्य...!!!??