कभी कभी इंसान इतना बेशर्म बन जाता है कि उसे दुनियादारी और इंसानियत की कोई ऐहिमियत नहीं होती...
उसे बस धन... दौलत... और खुद के फ़ायदे के रिश्ते ही नज़र आते है ।
उसे प्यार... परिवार... और परंपरा से कोई नाता नहीं होता ।
वो रिश्ते - नाते तोड़ मोड़ कर अपने अहम को बढ़ता जाता है ।
पर उसकी ज़िंदगी में एक दिन ऐसा भी मोड़ आता है जब पैसा और उसका अहंकार उसे अकेला कर देता है ।।।
#मेरे_खयालों_के_ख़्वाब_से