वो मुझसे शिकायत करते है कि,
मैं बेवफाई पे नहीं लिखता....!!
और सोचता हूँ की मैं उनकी रुस्वाई पे नहीं लिखता.................!!
खुद मुझसे ज्यादा बुरा कौन है ज़माने में .......................!!
इसलिए मैं औरों की बुराई पे नहीं लिखता................................!!
कुछ तो आदत से मजबूर हूँ, और, कुछ फितरत की पसंद है...........!!
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों, मैं उनकी नुमाइश पे नहीं लिखता............!!
दुनिया का क्या है वो तो हर हाल में, इलज़ाम लगाती है........................!!
इसी लिए मैं कुछ अपनी, सफाई पे नहीं लिखता...........!!
समंदर को परखने का, नजरिया ही अलग है यारो........................!!
मिजाज पे लिखता हूँ, मैं उसकी गहराई पे नहीं लिखता.................!!
पराये दर्द को, मैं अपनी कलम में महसूस करता हूँ......................!!
ये सच है मैं जमीन से आसमान की, जुदाई पे नहीं लिखता.............!!
तजुर्बा मेरी मोहब्बत का न लिखने की, वजह बस यही है "मित्रों ".....!!
की इश्क़ पर शायरी में, खुद अपनी तबाही पे नहीं लिखता...................!!