ज्ञान का संधान, ज्ञान का संधान, ज्ञान का संधान...
ज्योति की ये अर्चना है मन का अनुसंधान ।
शब्द की आराधना के गीत हम मन से लिखेंगे
भावना की प्रार्थना से मोल जीवन का करेंगे
आज जो आधार अपने, कल उन्हें आधार देंगे
बन के अपने कल का निर्मल आसमान। ज्ञान का...
रास्ते उनको मिले हैं जो चले हैं लक्ष्य लेकर
खोज लें हम लक्ष्य जीवन के यहां एकत्र होकर
हों प्रकाशित परिजनों की सब अपेक्षाएं निरंतर
कर सकें सारे अंधेरों से महा संग्राम। ज्ञान का...
स्वस्थ मन की कामना हो, स्वस्थ तन की साधना हो
हो जहां में स्वस्थ जीवन से शिखर संधान।
क्षितिज की रेखा पे खोता डूबते सूरज का साया
उससे लेना फ़िर सुबह होने का नव आह्वान।
ज्ञान की गरिमा से होता बोध का पंकज सुवासित
तब सहज होता है अपने लक्ष्य को पाना यहां अविराम।
हम तलाशें मार्ग अपना सीखने की ललक लेकर
रच के दुनिया के लिए कोई कीर्ति आलीशान
नव किरण जो उदित होकर झलकती है इस धरा पर
एक दिन वो पथ दिखाती बनके विदुषी निकट तम में
कल यहां गूंजेगा घर - घर
विदुषियों के कारवां का गान।
ज्ञान का संधान, ज्ञान का संधान, ज्ञान का संधान!!!