Hindi Quote in Shayri by AMIT CHAVDA

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#KAVYOTSAV
ख्वाब बो ना चाहता हूँ ।

झेलम की धड़कन तेज हो चली है
बात वादियों तक चली है
उगेगा आज जो आफ़ताब
वो इन आँखों की चमक के सामने धुंधला सा लगेगा
ये चमकता पहाड़ ,वो जंगल,ये बस्ती वो झीलें
मगर क्या देखता मैं ???
वो नन्हा सा हांथोमे थामे किताबे
पढ़ता रहा मेरी ही आंखे।।
पर मुझे उगाना था ख्वाब जो सोया हुवा था
वो अपने ही मुल्क में अपनों से खोया हुवा था
ओढ़े हुवे था वो सारे इल्ज़ाम अपने ही किसीके
शर्द मौसम भी काँप उठता गर सुनता ये किस्से
रूह थरथराती रही घरमे सिकुड़े रातभर
लो जलती बुझती रही आदतन अक्सर
पर मैं एक ख्वाब बो ना चाहता हूं
तू न मंदिर में जाए न नमाजी बने तू
तू पैगाम इंसानियत का दे इंसान बने तू
ये समा आसमाँ है तेरी आंखे है तारे,
तू खुद एक नज़ारा तुझको वादियाँ निहारे
तू झेलम की धड़कन तू दल का किनारा
तू गांधी के चश्मे से देखे जो खुदको
तू मैले से कुर्ते में लिपटा, भारत है सारा
बंदूको की भाषा जो जाने वो कहाँ सुनते है कोई ज़बाने
तू केसर की महेक है यार मेरे ,बांते न बारूद की माने
खुशबू के पौधे से मैं गुलोचमन चाहता हू
एक ख्वाब बो ना चाहता हू
छूटे हुए खिलौने बैठे उदास कब से
क्यों कोई हाथ उसे छूता नही जट्ट से
डर के चेहरे पे में एक शिकन चाहता हूं
एक ख्वाब बोना चाहता हूं
स्कुलो,किताबो की दुनियामे खोया रहे तू
ये कंचे,ये गिल्ली के खेलों में पिरोया रहे तू
उलझी सी आंखों में सुलझी सी सूरत चाहता हूं
एक ख्वाब बोना चाहता हूं
फूटे पर तुझे भी उड़े आसमाँ से आगे
तू औरो को जगाये और खुद भी जागे
तितलियों के रंगों सा तेरा ठिकाना चाहता हु
एक ख्वाब बोना चाहता हूं
ये जन्नत ही है सदा रहे जन्नत
चिनारों के पत्तो ने मांगी है मन्नत
बनके बारिश तेरी उंगलियो को छूना चाहता हूं
एक ख्वाब बो ना चाहता हूं
परियो की कहानी सुनते ही आ जाये नींद तुझको
तिलस्म के किस्से करते रहे हैरान तुझको
बनाके कस्तियाँ झेलम में बहाना चाहता हूं
मैं एक ख्वाब बो ना चाहता हूं
गर ये ख्वाब उगे तो ।।।।।।।।।।


हटने लगेंगे ये दुख के मंजर
छटने लगेंगे ये काले बादल
सारी पीड़ा हो जाएंगी छू
सारे लफड़े फटाफट सुलझने लगेंगे
ये काली राते न लंबी चलेगी
तेरे कदमों के नीचे धूप की कालीन बिछेंगी
फिर कोई काफ़िला गुजरेगा यहाँ से
वो शायद यहीं कहेंगा
*अगर फ़िरदौस बर-रू-ए-ज़मीं अस्त

हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ओ हमीं अस्त ।

*(अगर दुनियामें कहीं स्वर्ग है तो फिर वो यहीं है यहीं है,यहीं है.
ये किसी अज्ञात शायर का शेर है)

Amit chavda. #kavyotsav

Hindi Shayri by AMIT CHAVDA : 111034722
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