काश...यह स्कूल के दिन ख़त्म ना हुए होते,
तो आज उन पलों को याद करके हम ना रोते ..
दिनभर मस्ती करते, उछालते-कूदते,
हम बिछड़ गए..
अपनी-अपनी दुनिया में हम सिमट से गए..
वो प्रार्थना में चुपके से खेलना,
वो अध्यापक के नाम बनाना,
वो बस्तों का भारी बोज़,
वो अधूरा सा गृहकार्य रोज़,
आज बहुत याद आता है..।
वो मस्ती भरे दिन, आज रहे हम गिन,
काश..यह स्कूल के दिन ख़त्म ना हुए होते,
तो आज उन पलीं को याद करके हम ना रोते ।।