कविता
*व्यथा*
कोका कोला की बोतल
फेयरनेस क्रीम
सुगंधित हेयर ऑयल
या सुप्रसिद्ध अभिनता की फिल्म नहीं
जो मिलेंगे उसे कई प्रोमोटर
स्वयं करना है उसे
अपना प्रोमोशन
दिखना है खूबसूरत
गोरा चिटा
पहननी है हाई हील
चाल में लानी है नवीनता
करनी है कैटवॉक
हाथों में चाय की ट्रे लेकर
जैसे तैसे उतरना है खरा
दर्जनों पारखी नज़रों में
चुकाना है अपना मोल स्वयं
खरीददार के हाथों
तभी मिलना संभव है
उम्र भर का कद्रदान
परंतु महंगाई के इस दौर में
गारंटी कोई नहीं।
© विनोद धरब्याल राही