मेरा कृष्णा
कृष्ण मेरे लिये न्याय,नीति,मित्रता ,राजधर्म का पर्याय हैं,कृष्ण का इस बात के लिये अर्जुन को राजी करना कि शांति किसी भी कीमत पर मिले तो वो बहुत सस्ती है बगैर रक्तपात के चाहे वो पांच गांव तक ही सीमित क्यों ना हो,कुरुक्षेत्र में ये भी सिखाया कि देश के हित में व्यक्तिगत मोह का कोई महत्व नहीं,न्याय के शासन के लिये चाहे अपनों के खिलाफ क्यों ना जाना पड़े।कृष्ण ने बताया कि देश रहेगा तभी तो राजा रहेगा,राजा के लिये देश को बलिदान नहीं होने दिया जा सकता।