वफा के वादे वो सारे भूला गया चुप-चाप
वो मेरे दिल की दिवारें हिला गया चुप-चाप
ना जाने कौन सा वो बद-नसीब लम्हा था
जो गम की आग में मुझ को जला गया चुप-चाप
गम-ऐ-हयात के तपते हुए बया-बांन में
हमें वो छोड के चला गया चुप-चाप
मैं जिसको छुता हुँ वो जख्म देता*R K