तेरा मेरा बिछड़ना भी निराला रहा
आंखें बोली मन रोया जीभ न हिली
नदियां बही प्रेम सूधा कि समुन्दर आया
मिलने को ललचाया मिल नहीं पाया
उङता पंछि तुमको देख निस्तब्ध रहा
ईश्वर ने तेरा मेरा संग न कराया
जाते जाते तूने न जाने क्या कहा
मैं सुन न पाया
एक दफा लौट आ रे प्रियतमा
कब तक देखूं तेरी बाट
राह तकत तकत चक्षु भयी धुमिल ।।