मौसम भी बहार का था,
तेरे संग क्या हुआ, न जाने।
जो पल रहा हर वक्त,
वो क्यों बिखर गया, न जाने।
फिर भी मैं चली अपने राहों पर,
ना कोई मंज़िल, ना कोई ठिकाना।
तुझको मगर दी थी हर वफ़ा,
बस यही था मेरा फ़साना।
रब करे, मेरे चले जाने से
तेरी दुनिया आबाद रहे।
मेरी दुआओं की छाँव तले
तेरी हर ख़ुशी बरक़रार रहे।
_Mohiniwrites