मैं और मेरे अह्सास
महफ़िल में नूतन नवीन राग बजा रहे हो l
हसीन रंगत किसके लिए सजा रहे हो ll
दिलरुबा के आनेका अंदेशा लगता है कि l
माहौल महकता आशिकाना बना रहे हो ll
चरोऔर जगमगाहट से उजियाला करके l
रंगीन दीपकों की हारमाला जला रहे हो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह