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मेरे मन तू अब चुप हो जा मुझे थोड़ा कुछ और सुनने दे। तेरी बात समझ नहीं आती मुझे, जो नहीं है उसका सब्र करने दे। तेरे कहने से कुछ कब हुआ है जो ना हुआ उसका अश्क रहने दे। मेरी इतनी सी तू बात मान ले जो नहीं कहा किसी से उसका ना कहने दे। मेरी सिफारिस अब मुझ से ना कर तुझे जानती हूं बस अब रहने दे।
मुझ में गुम हो कहीं या मेरे साथ रहते हों बड़ा अच्छा की तुम आस पासरहते हों। नहीं सिकवा कोई ना अब कोई शिकायत है तुम्हारा प्यार कि जो खुदा की मुझमें इनायत हो। तुम्हारी माशुमियत के किस्से भले कोइ नहीं है मेरी मशुमियत में तेरी मशुमियत सामिल हो
कहीं पनप रहा है गम है संभाल जाओ, दिन मुश्किल है संभल जाओ। मेरे दिल उस दिल पर ना निशार जाओ हो जायेगा तुम्हे प्यार संभल जाओ।
हम रोज अपना रिश्ता सवार लेते हैं, कभी वो बिगाड़ देता है कभी हम बिगाड़ लेते हैं। बस इक सवाल होता है मुझ से, तुम देखकर क्यों आंखो पर पलकों का पर्दा डाल देते हैं। करती हूं मै उसके दिल के नजारे हम को देखो हम ना हमारे, जब भी देखती हूं उसे कुछ ठहर जाता है मुझमें तमाम बातों पर पहरे डाल देते है। मुद्दतो में देखते हम उसे, हर नजारे का ख़ुदा एहसान होता है गुजारता नहीं है इक पल भी, उसके बिना उम्र गुजार लेते हैं। हर रोज टूटता है इक ख़्वाब मेरा, फिर भी हम ख़्वाब पाल लेते हैं।
वो जो अंकाहा है बस तुम उतना जान लो, मै क्या कहूं तुम से कभी तो तुम भी जान लो। मेरी तरफ से तुम लो अपनी तारीफ़ रख लो मेरे मिजाज़ नरमी में है ये तलुकात तुम रख लो।
गुजरने को क्या है वक्त है गुज़र जायेगा, बस रहेगा इक निशान उस दर्द जो वक्त दे जायेगा। बड़े अर्से के बाद तो लग रहा था ठीक क्या मालूम था सब ऐसे बिखर जायेगा। किसी भी दुख पर बहती नहीं आंखे, दर्द है दब कर कम पड़ जायेगा। मुझे दुख है किस से काहू किस उम्मीद से दुख का क्या कहने से और बड़ जायेगा। मुझे नज़र ना हुआ प्यार कभी किसी से, जिसने भी ज्यादा वो फिर बिछड़ जायेगा। कितने अजीब रिश्ते में प्यार हुआ मुझे ना पता था इतनी जल्दी प्यार ख़तम हो जायेगा बड़ी नाउम्मीदी हुई है इस जिंदगी से, मुझे फ़िर क्या कोई उम्मीद से भर पायेगा।
ताकती थी आंखो जीवन के लिए उसके जीवन में अपना जीवन जोड़ने के लिए। वहीं तकिया वहीं शिरहाना मिला मिलने को क्या वही गम पुराना मिला लिखने वाले ने क्यों ना कोई कहानी नई लिखी मेरे दर्द को क्यों ना ढिकाना मिला। मिलने को मिल रहा सारा जहान मुझे जिसे दिल से चाहा वही ना मिला। किसे चाहूं किस की ना चाह करू जिंदगी लम्बी भला कैसे मैं नीबाह करू किस से समझा दू ज़रा दूर रहें वो मुझ से मेरी चाहत को अब ख़ुदा को भी ख़बर ना रहें अपने मुताबिक वो सबको दूर करता है रहना होता फ़िर मजबूर करता है उस से कह दे कोई मुझे ना अब मजबूर करे पहले समझे फ़िर किसी को किसी से दूर करे
मुझे मंजूर होंगे तामाम दर्द जीवन के, मेरे भगवन बस तू समीप रहना।
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