ताकती थी आंखो जीवन के लिए
उसके जीवन में अपना जीवन जोड़ने के लिए।
वहीं तकिया वहीं शिरहाना मिला
मिलने को क्या वही गम पुराना मिला
लिखने वाले ने क्यों ना कोई कहानी नई लिखी
मेरे दर्द को क्यों ना ढिकाना मिला।
मिलने को मिल रहा सारा जहान मुझे
जिसे दिल से चाहा वही ना मिला।
किसे चाहूं किस की ना चाह करू
जिंदगी लम्बी भला कैसे मैं नीबाह करू
किस से समझा दू ज़रा दूर रहें वो मुझ से
मेरी चाहत को अब ख़ुदा को भी ख़बर ना रहें
अपने मुताबिक वो सबको दूर करता है
रहना होता फ़िर मजबूर करता है
उस से कह दे कोई मुझे ना अब मजबूर करे
पहले समझे फ़िर किसी को किसी से दूर करे