हम रोज अपना रिश्ता सवार लेते हैं,
कभी वो बिगाड़ देता है कभी हम बिगाड़ लेते हैं।
बस इक सवाल होता है मुझ से,
तुम देखकर क्यों आंखो पर पलकों का पर्दा डाल देते हैं।
करती हूं मै उसके दिल के नजारे
हम को देखो हम ना हमारे,
जब भी देखती हूं उसे कुछ ठहर जाता है मुझमें
तमाम बातों पर पहरे डाल देते है।
मुद्दतो में देखते हम उसे,
हर नजारे का ख़ुदा एहसान होता है
गुजारता नहीं है इक पल भी,
उसके बिना उम्र गुजार लेते हैं।
हर रोज टूटता है इक ख़्वाब मेरा,
फिर भी हम ख़्वाब पाल लेते हैं।