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Sunil Parwani

Sunil Parwani

@sunilparwani000446


नफरत करता हूं मैं दुनिया के
उन तमाम लोगो से
जिन्होंने ये रस्म बनाई है,
.
अरे... बहुँ दहेज में क्या लाई है पूछने वालों
कभी ये सोचा है
के बेटी कितने रिश्तो को छोड़ कर आई है।

✍ सुनील.एल.पारवाणी
खुशनसीब

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*અંતર*

અંતર તો છે ભલે મીલો નો
પણ તારા અંતરમન થી ક્યાં દૂર છું હું,

નથી કરી મેં ક્યારેય વાત મારા અંતર ની
લાગણી ને વેદના થી કેટલો *ભરપૂર* છું હું,

જુએ ના જમાનો તને ગુન્હેગાર ની નજરે
એટલે જ સ્વીકાર કર્યા છે ઇલજામ તારા,

મન ની આંખે જો જે એકવાર ખુશનસીબ
ઝખ્મો મેળવીને પણ બેકસુર છું હું

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? *विचारधारा* ?
. ?7⃣3⃣0⃣?

क्या आपने कभी देखा है की भूख से किसी पक्षी, पशु की मौत हुई हो ? शायद नही देखा होगा।
क्यों के वो कुदरत सब का ख्याल रखता है,
दुनिया के समुंदरो में हज़ारों व्हेल? है
जिनका वजन 50 टन से भी ज्यादा होता है,
लाखो हाथी है, हज़ारो शेर, चीते, और भी ना जाने कितनी ही योनियां है।
लेकिन वो चींटी को कण ओर हाथी को मण पहुचा ही देता है। सबके जीवन निर्वाह की व्यवस्था उसने की ही है।
लेकिन फिर भी हम खुद की बड़ाई मारने में ही व्यस्त है कि समाज को मैं चला रहा हूं,
घर को मैं चला रहा हूं,
*मैं हु तो ये सब हो रहा है।
अरे भाई दुनिया को चलाने की मिथ्या बाते करने वालो,
अगर ऊपर वाला एक बटन दबाएगा तो हम चलना बंद हो जाएंगे। खुद को बड़ा साबित करके क्या करोगे वो सोचो ?,
अगर चार लोगों में नाम कर भी लोगे तो उसका फायदा क्या? *ऊपर साथ चलेगा क्या कोई?* नही ना..
तो क्यों अभिमान के झमेले में पड़े हो,
कर्म ऐसे करो जिसका फल मृत्युलोक की पीड़ा से मुक्त करे। *स्वर्ग जैसा सुख या नरक जैसी पीड़ा सब यही मिलना है।* तो अभिमान छोड़ और कर्म ऐसा करना जो अंत समय सँवर जाए। बाकी तो सिकंदर जैसो के बिना भी ये दुनिया चल ही रही है।

✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
. ? _कवि खुशनसीब_ ?

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#Kavyotsav

*इश्क का इल्म*
✍..........................

इन हवाओं के जरिये
जो भेजा था मोहब्बत का पैगाम तूने
राह भर के सारे परिंदों को
इश्क का बुखार लग गया,

पेड़ पौधों की टहनियों को छुआ जो
तेरे पैगाम ऐ इश्क ने,
सूखे मायूस पत्तो पर भी
वसंत का खुमार चढ़ गया,

तेरी झुल्फों से होकर गुजरी थी जो हवाएं,
समुंदर की लहरों को किनारों का गुलाम कर दिया,

महेक उठी मेरी सांसे भी उन हवाओ से,
मैने खुद को तेरी मोहब्बत पे नीलाम कर दिया,

ना ली सांसे तो मर रहा था तड़प के
सांस ली तो तेरी यादों ने तड़पा दिया

मोहब्बत के अल्फाज़ो से दूर दूर का ना था वास्ता खुशनसीब,,
तेरी इन शरारतों ने इल्म इश्क का दे दिया।

✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
खुशनसीब

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# Kavyotsav

*शब्दो का मोहताज नही पिता*
✍'''''''''''''''''''''''''''''''''

माँ की ममता का शब्दों में वर्णन किया जा सकता है,
पर पिता के त्याग की परिभाषा नही दी जा सकती,

रोटी के लिए चुला फूंकती
माँ के आंखों का धुआं देखा जा सकता है

पर उस चूले को जलाने के लिए खुद जलने वाले पिता की महेनत नही दिखती,

अस्पताल में शिशु को जन्म देती माँ की पीड़ा को देखा जा सकता है

पर उसी अस्पताल के आंगन में विचलित पिता के मन की पीड़ा नही दिखती,

स्नेह की चार दीवार से घर को बनाने वाली माँ का बलिदान देखा जा सकता है

पर छत बनकर उसी घर का रक्षाकवच बनने वाले पिता की जिम्मेदारी नही दिखती,

माँ को मजबूर और पिता को क्रूर दिखाया गया है दुनिया मे अक्सर

कठोर सीने के अंदर नरम नारियल जैसी हृदय की भावना नही दिखती।

✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
खुशनसीब (गांधीधाम-कच्छ)
.?9825831363

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#Kavyotsav

✍खो गई संस्कृति
'''''''''''''''''''''''''''''''''
बेटी के मंडप के चार स्तंभ लगाने में
बेच दी पिता ने छत अपनी,
,
सात फेरों के वचन भूल कर
दहेज को समझते है लोग जरूरत अपनी
,
लग्न मंडप के हवन कुंड में
जल जाते है अरमान उस पिता के,
संस्कारो का पालन ना करते जब
बेटी लौट आती है वापस अपनी
,
सात फेरों के बंधन टूट जाते है
सात रोज में ही 'खुशनसीब'
जब बेटियां भी भूल जाती है
मर्यादाए अपनी,
,
कही पति निष्ठुर, तो कही पत्नी नासमझ
दोनों के परिवार कुटते है किस्मत अपनी,
,
ना जाने ये दौर कहा ले आया है हमें
खो गई किस राह पे संस्कृति अपनी

✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
.खुशनसीब (गांधीधाम)
.?9825831363

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#Kavyotsav

✍પ્રેમ નો જામ
......................
અજીબ દાસ્તાન છે મારી જીંદગી ની
મુજ ને કોઈનો સહારો નથી મળ્યો,

ભટકી રહ્યો છું આ સંસાર સાગર માં
ક્યાંય મુજને કિનારો નથી મળ્યો,

જરૂરત પૂરતો જ પ્રેમ કર્યો છે લોકો એ મને
નિઃસ્વાર્થ દોસ્તી નો હાથ લાંબો કોઈએ નથી કર્યો,

મહેફિલો માં કેટલીય છલકી છે મદિરા
પણ મુજને ક્યાંય પ્રેમ નો જામ નથી મળ્યો,

લાગે આ દુનિયા જ સ્વાર્થી છે
એટલે જ કોઈ પ્રેમી ને મુકામ નથી મળ્યો,

વીતી ગઈ જીંદગી આખી સુખ ની શોધ માં
પણ કબર જેટલો ક્યાંય આરામ નથી મળ્યો,

પત્થરો* માં પૂજાય છે ભગવાન 'ખુશનસીબ'
પણ ઇન્સાનો માં ક્યાંય રામ નથી મળ્યો.

*સુનિલ.એલ.પારવાણી*
._કવિ ખુશનસીબ_
ગાંધીધામ (કચ્છ) 9825831363

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