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हमको किसी से तो पटम्मर नहीं चाहिए खुद की भुजाओं पर भरोसा रहना चाहिए हमपे तो बस अपनी इतनी कृपा रखना बल बुद्धि विवेक हमारे सलामत रहना चाहिए कभी भी किसी के आगे मिन्नते करने की जीवन में कभी भी ऐसी न नौबत आना चाहिए सारे के सारे नियम कायदे और कानून सब जनता पर ही केवल लागू रहना चाहिए -Vikash Kumar
आज ही तो हम मिले थे मिलते ही एक दूजे के हो गये थे आज ही तो हमने ताउम्र साथ-साथ लड़ने-झगड़ने की कसमें खायी थी कभी न बिछड़ने की कसमें खायी थी कभी तो किसी बात पर कभी बिना किसी बात पर रूठने मनाने की कसमें खायी थी मुंह फूलाने की कसमें खायी थी सुबह सुबह मेरा दफ्तर के लिए चिल्लाना तुम्हारा पांच मिनट और समय बढा़ना कि थोड़ी देर और रुक जाओ चार रोटी और सेंक देती हूं टिफिन पैक कर देती हूं थोड़ा रुक जाना लेकर जाना और मेरा मुंह फुलाकर चले जाना मेरा रोज रोज जिद करना तुम्हारा गाल इधर से उधर घुमाना कि होंठो पर तो नहीं मिलेगी मेरी लिपस्टिक खराब हो जाती है वक्त भी कितना तेजी से गुजरता है जैसे कल ही तो आयी थी तुम ऐसा आज भी लगता है -Vikash Kumar
आंख से काजल चुराना मुंह से निवाला छीन लेना हुनर है क्या कोई विशेष जग में बढ़ रही है मांग इन दिनों सीखिए चमचागिरी और तेल लगाना आजकल फैशन में है इसका चलन बढ़ रही है मांग इन दिनों बिल्कुल नयी नयी बहाली आई है आजकल मार्केट में आवश्यकता है पेपर लीक कराना बढ़ रही है मांग इन दिनों हो रही अच्छे दिनों की शुरुआत है बेरोजगारी में भी स्कोप है अच्छा आसमां छू रही है दिन प्रतिदिन बढ़ रही है मांग इन दिनों -Vikash Kumar
सारे जहां से अच्छा लगता और तुम्हारा अच्छा कहना सबसे अच्छे तुम लगते थे और तुम्हारा अच्छा कहना कट जाते थे हंसते गाते निश दिन करते बाते रात से कैसे भोर हुई जाने कैसे कट गयी राते प्रीत अमर जो था करना मिल कर था हमें बिछड़ना कभी इस्माइली कभी इमोजी हम दोनों होके मनमौजी और भी कितना अच्छा लगता अच्छा अच्छा अच्छा कहना अश्कों का है अब बहाना दिन भर तेरे याद में गाना बात बात पर जब तुम अच्छा अच्छा कहते थे रट रट के हम भी अच्छा अच्छा अच्छा कहते थे और भी कितना अच्छा लगता तुमसे ही बातें करना पास न हो पर दूर नहीं मन में मेरे ही रहते हो मन से दूर कहां जाओगे कहां नहीं हम रहते हैं बस अच्छा अच्छा लगता है तुझमें ही डूबे रहना सालती है आज भी और तुम्हारा दोषी बनना खुद पे कितना इतराऊ मैं निर्दोषी तो तुम भी न थे फिर भी कितना अच्छा लगता गीतों में तुझे पिरोना अरुणोदय सी उदित हुयी सूर्यास्त सी अस्त गीत प्रीत के रीत के रच बस गये मेरे संग मस्तानों सा मस्ताना बनना दीवानों सा दीवाना
दिल में तेरे प्यार की दुनिया दफन है सो रहा किसी कोने ओढ़े कफन है मेरे गीत उनको जिलाने का जतन है दिल में तेरे प्यार की दुनिया दफन है जुड़ना नहीं उसे घट जाना हीं था घट को तो घट घट जाना हीं था चरमरायेंगे कल चीखेगे भी टूटने का आज तो प्रश्न हीं नहीं है देखे कभी थे जो हाथों में हाथ हो तो कड़ी धूप में भी सुनहरी बरसात हो नींद से जगे तो फिर झूठे सपन है -Vikash 'Bihari'
दो रंग से ही वह रूठा था क्या प्यार हमारा झूठा था दो लफ्ज़ ही कहने में यह कितना डरता है पानी से भी यह तो कितना डरता है एक बूंद गिरे तन पे फिर बौछार भी सहता है ताल में तो कई फूल खिले इक फूल ही टूटा था क्या प्यार हमारा…. दुनिया में दो ही रंग बना राजा से वह रंक बना जग के प्रश्नों से छला गया सत्य वचन का ढंग बना दो रंग से ही मुझको को कोपभवन जा लूटा था क्या प्यार हमारा -Vikash 'Bihari'
आज राम आए है आज राम आए है हमारे राम आए है चारों धाम आए है राजा राम आए है अवध पुरी को आज सजा दो दीपों की मालाओ से धरा से नभ तक गर्जन हो धनु की टंकारों से तम न रहेगा जग में कहीं कहो दीप मालाओ से तम मिटा आए है राजा राम आये है आज राम आये है चारों धाम आए है प्रीत अगर हो सच्ची तो रब भी मिलने आते है मनुज हो या दनुज कोई दस शीष दे जाते है पाप का घट भर जाए तो दस शीष कट जाते है तारण हार आए है राजा राम आए है आज राम आए है चारों धाम आए है दीपो का दीपोत्सव ये हमें यहीं सिखाता है सागर तक का भी दर्प तो चूर चूर हो जाता है पत्थर तक तर जाते है राम सेतु बन जाता है लेते नाम आए है सियाराम आए हैंं आज राम आए है चारों धाम आए है
तुमको ही चुन के बेड़ियों को तोड़ के स्वप्न नये बुन के साथ साथ चल दिये तुमको ही चुन के मिलकर देखे साथ तुम्हारे स्वप्न नये नये लगने लगा है हमको हम हो गये नये नये कंटक पथ से डरना क्या जीना क्या मरना क्या रघु कुल की रीत निभाने नये नये वन कानन को चल दिये सिय लखन को चुन के अब गर्मी क्या है सर्दी क्या बेमौसम बरसात क्या पंक लगे पावों में तो सावन को ठुकराना क्या तुम तक आते आते पाव अगर थक जाये तो चलना क्या सुस्ताना क्या फिर कनुप्रिया को समझाने का क्या उद्धव को चुन के एक बात कहने को हम कितनी बार बार मनन करते है तुमको मनाने को हम कितनी बार जतन करते है आओ हम तुम साथ मिल घर बसाने का जतन करते है नियति ने हमें लिख दिया नियति में चुन के
हठ छोड़ कैसे दूं तुम कहते हो हमसे ये हठ छोड़ दो हमसे हठ छोड़ कैसे दूं जब दिल लगा तुमसे है हठ नहीं प्रिये ये जिद है जीवन की राहों से शुल हटा अब फूल बिछाना है हठ छोड़ कैसे दूं जब दिल ये दीवाना है ये काली घटा छंट जाएगी और सुनहरा कल होगा तुफान को छंट जाने दो नैया खेना सरल होगा तेरा मेरा मिलना भी तब ज्यादा और सरल होगा हैं प्यासे अधरों की ये प्यास है जल की तुम्हे पाने के लिए अब फना हो जाना है है आंधी अंधड़ धूल धक्कड़ लू के थपेड़े है सहते सहते जो है अड़े खड़े रहे दरख़्त है है नाजुक नरम नहीं कदम ये सख्त सख्त है है युद्ध यहां जीवन हर वीर जवानों की है धरा भोगना या स्वर्ग जाना है हाथों में जिस दिन मैने तेरा नाम लिखा उस दिन ही ये जीवन मैंने तेरे नाम लिखा इस निर्मित नव भवन की नींव तुम्हें लिखा हैं आस नहीं ये चाह है जनमों की तुमको जीते जीते नाम कर जाना है
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