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Sakshi jain

Sakshi jain

@sakshijain9977


"दोस्ती"
दोस्तों के बिना जिंदगी अधूरी होती है,
दोस्तों से ही तो जिंदगी की कमी पूरी होती है,
दोस्तों के साथ से ही तो मिलता है अपनापन,
दोस्त सच्चा हो तो बदल जाता है जीवन,
दोस्ती का रिश्ता चेहरों से नहीं किया जाता,
ये वो रिश्ता है जो दिल के धागों से है बंध जाता,
दोस्ती का रिश्ता इसलिए भी खास है क्योंकि,
इसमें ऊंच नीच और जात पात का कोई नहीं काम है,
दोस्तों के होने से लगता है कोई तो ऐसा पास है,
जो सिर्फ मेरी अच्छाई में ही नहीं
मेरी बुराई में भी मेरे साथ है,
दोस्त है तो लगता है जैसे
किसी बंजर जमीन पर भी है हरियाली,
दोस्त नहीं हो तो लगता है जैसे,
सावन में भी सूख रही हो पेड़ों की डाली,
दोस्ती का रिश्ता ऐसा ही खास है,
जिसमें खुद को बदलता नहीं कोई इंसान है,
यही तो इसकी सबसे अच्छी बात है,
जैसे आप हो वैसे ही आपको अपनाता वह इंसान है,
दोस्त साथ हो तो दुनिया का हर दर्द कम लगता है,
उसके साथ बांट लो गम तो दुनिया का हर गम कम लगता है,
यह कैसा रिश्ता है जो खुद ब खुद बन जाता है,
जाने-बिन जाने भी कोई हमारा दोस्त बन जाता है।
Happy friendship day to all my dear friends😊
                                        Written by- Sakshi jain

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कुछ लम्हे हमारे बीत गए,
कुछ वक्त बिताना बाकी है,
कुछ कदम चल लिए मंजिल के,
मंजिल तक जाना बाकी है,
कुछ तार जुड़े हैं दिल के अभी,
झंकार आना उनमें अभी बाकी है,
कुछ हाथ तुम्हारा मिल सा गया,
कुछ साथ निभाना बाकी है,
कुछ बूंदे गिरी है प्यार की,
सावन का आना बाकी है,
शुरुआत हुई है रिश्ते की,
ताउम्र निभाना बाकी है,
जिंदगी के सफर ने मिलाया है हमें,
सफर से मंजिल तक जाना अभी बाकी हैं।

Written by-Sakshi Jain

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Dedicate to all women-
नारी हूं मैं नारीत्व की पहचान खोज रही हूं,
काबिल हूं मैं कर सकती हूं यह बात बोल रही हूं,
सक्षम हूं मैं फिर क्यों रुकूं दुनिया की बाधाओं से,
उड़ने के लिए आसमानों में पंख खोल रही हूं,
संघर्ष है जीवन मेरा यह बात जानती हूं,
कोई नहीं मेरा अपना यह भी मैं जानती हूं,
सुरक्षा मेरी करना मुझे ही यह मर्ज जानती हूं,
सम्मान ना मिला उसका कभी जो कर्म करती हूं,
मुद्दा यही कहना यही बस इतना चाहती हूं,
नारी हूं मैं बस आपसे अपनत्व मांगती हूं,
महलों से बड़े घर नहीं मैं बस सुकून चाहती हूं,
मेरी जिंदगी मेरी तरह जीने की बस एक उम्मीद चाहती हूं, इंसान हूं मैं भी सभी की तरह जीना मैं भी चाहती हूं,
आपसे बस थोड़ा सा प्यार रक्षा और सम्मान चाहती हूं।
Happy international women's day 🙏

Written by- Sakshi Jain

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सोचा था वक्त के साथ सब कुछ बदल जाएगा,
तेरा मेरा रिश्ता भी संभल जाएगा,
तेरे मेरे रिश्ते की दूरियों को कम करने के लिए,
हमारे बीच में शायद प्यार पनप जाएगा,
पर अब ऐसा लगता है जैसे कुछ छूट रहा है
जैसे मेरा ही मुझसे कोई रूठ रहा है,
वक्त के पायदान पर आगे बढ़ते हुए,
पीछे कुछ अधूरा सा छूट रहा है,

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मौत दे दे ए खुदा मुझे मुझसे अब जिया नहीं जाता
घूट ये जहर का अब रोज़ रोज़ पिया नहीं जाता
बिना ग़लती के एसी सजा मिल रही हैं
रोज़ टूट कर अब मुझसे झूठा हंसा नहीं जाता
जब कोई ओर थी उसकी चाहत
तो मुझे क्यों फसा दिया
मेरी ग़लती के बिना मुझे क्यों सजा दिया
कभी किसी का ग़लती से भी बुरा नहीं चाहा
तो फिर आपने मेरा ही बुरा क्यों करवा दिया
इस जिंदगी से अच्छी तो मौत है
जिसमे ना किसी से कोई शिकवा है ना गिला
मेरा बुरा करने वालो का शुक्रिया
जो उन्होंने मुझे जिंदा लाश बना दिया।

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वो दिन याद करके
हम ना जाने कहां खो जाते हैं,
जब नौकरी के लिए
हम दिन रात धक्के खाते थे,
जिंदगी के संघर्ष में हम
रोज ऑफिसों के चक्कर लगाते थे,
इंटरव्यू को देते देते हैं
हम खुद परेशान हो जाते थे,
मनचाही नौकरी पाने के चक्कर में
हर भगवान को ढोक आते थे,
एक मनचाही हां के लिए
न जाने कितनी मेहनत कर जाते थे,
कई जगह से ना सुनकर भी
हम हताश नहीं हो जाते थे,
फिर से उठकर अगले दिन
फिर काम पर लग जाते थे,
जिस दिन नौकरी मिलती
उस दिन खुशी से फूले नहीं समाते थे,
नौकरी मिलने की खुशी में
सबको मिठाई खिलाते थे,
अपनी खुशी को बांटने
परिवार में दोस्तों के साथ पार्टी मनाते थे,
वो भी क्या दिन थे यार
जब जिंदगी के संघर्ष में हम बच्चे से बड़े बन जाते थे।
Written by- Sakshi Jain

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तेरी याद में रोते रहे,
कभी जागते कभी सोते रहे,
कभी टूट के बिखरते रहे,
तो कभी रात भर सोए नहीं,
हर वक्त यह सोचते रहे,
क्यों साथ हैं कहते रहे,
गलती हमारी ढूंढते रहे,
सजा जिसकी हमको मिलती रही,
दुनिया की दुनियादारी के लिए,
दिखावा साथ का करते रहे
तुम दर्द ना समझे मेरा
तकलीफ हम सहते रहे,
प्यार को पाने के लिए,
प्यार से लड़ते रहे,
ना प्यार हमको मिल सका,
ना हम प्यार के हम हो सके,
इस अजीब सी कशमकश में,
बस हम दोनों सहते रहे,
सहते रहे कहते नहीं,
पास होकर भी दूर होते रहे,
तुम पास मेरे होते नहीं,
तुम साथ मेरे होते नहीं।
-Sakshi jain

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#biteson College life
जब पढ़ने का वक्त था
तब पढ़ना ना अच्छा लगता था,
जब भी पढ़ने बैठो तब
सोना सा अच्छा लगता था,
किताबों को देखकर 
बड़ी ही प्यारी सी झपकी आती थी,
उन से गुफ्तगू करने बैठो तो
नींद हमारी लग जाती थी,
उनसे दोस्ती करना
बड़ी ही भारी पड़ जाती थी,
क्योंकि जब भी पढ़ने बैठो
तो कभी पढ़ाई हो ही नहीं पाती थी,
एग्जाम के वक्त में
टेंशन हमारी बढ़ जाती थी,
क्योंकि एग्जाम में लिखना क्या है
उसकी तैयारी हो ही नहीं पाती थी,
दोस्तों से पूछते थे कि
तूने कितना पढ़ा?
और दूसरों की पढ़ाई सुनकर
टेंशन हमारी बढ़ जाती थी,
दूसरों की सुन के
पढ़ाई करने का सोचते भी थे,
लेकिन वही पढ़ते-पढ़ते
नींद हमारी फिर से लग जाती थी,
फिर एक कप चाय हमें
हमारी नींद से जगाती थी,
नींद से जाग कर फिर वापस
तैयारी में हमें लगाती थी,
कितने हसीन थे वो दिन भी
जब हम पढ़ाई से जी चुराते थे,
और पढ़ते मस्ती करते न जाने कब
लाइट चालू छोड़ कर सो जाते थे,
सुबह देर से उठते और फिर
भागते हुए एग्जाम देने जाते थे,
एग्जाम हॉल को देखकर
हमारे पसीने छूट जाते थे,
पेपर को देख कर हम
सिर और मुंह खुजाते थे,
पढ़कर जाने वाले लिखते रहते
और ना पढ़ने वाले इधर-उधर मुंह घुमाते थे,
एग्जामिनर को देखकर
न जाने कैसी कैसी शक्ल बनाते थे,
घूर कर खा जाए ना हमें
ऐसे ख्याल दिल में आते थे,
घंटी के बाद बाहर
खूब चौकड़ी से जमाते थे,
किसने सही किया
किसने गलत किया,
पूरा पेपर सॉल्व करके 
फिर ही घर जाते थे,
रिजल्ट वाले दिन
सब की धड़कनें बढ़ जाती थी,
कोई पास हुआ तो कोई फेल हुआ
चारों तरफ बस यही आवाजें आती थी,
कोई खुश होता तो
कहीं मायूसी सी छा जाती थी,
कितने हसीन थे वह दिन भी
जिनको जी कर जिंदगी कहीं आगे बढ जाती है,
और यही पुरानी यादें
हमारे चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान दे जाती है।

Written by- Sakshi Jain

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मेरी जिंदगी कुछ पल के लिए
आज मुझे वापस पुराने वक्त में ले आयी है,
जहां पर मेरी दुनिया
जैसे पुराने किस्सों से भर आई है,
बच्चों के खिलौने देख
दिल फिर से बच्चा बन जाता है,
बचपन की नादानियों को याद कर
दिल मेरा भर आता है,
पुरानी किताबों को देखकर
दिल फिर से उन्हें पढ़ना चाहता है,
उन्हें पढ़ते-पढ़ते दिल
पुरानी यादों में खो जाता है
साइकिल को देखकर दिल
फिर से उसे चलाना चाहता है,
उसको चलाते-चलाते
कहीं दूर निकल जाना चाहता है,
वो बचपन के खेल
याद बचपन की दिलाते हैं,
उन्हें खेलते खेलते
न जाने हम कब बड़े हो जाते हैं,
दोस्तों के साथ बैठकर
गप्पे लड़ाना याद बड़ा ही आता है,
इन्हीं गप्पों को लगाने का
आज दिल बड़ा ही चाहता है,
घंटों तक बस बैठे रहने का
वह दिन वापस क्यों नहीं आता है?
ना जाने क्यों बस दिल
इन्हीं यादों में खोए रहना चाहता है,
जिंदगी के हर पड़ाव पर
न जाने कितनी यादें बनती चली जाती है,
जो बाद में याद आकर
दिल में हलचल मचाती है,
बीता हुआ वक्त हमारे
कल का आईना हमें दिखाता है,
जो अच्छी और बुरी दोनों
यादों को हमारे सामने ले आता है,
सोचते सोचते दिल ना जाने
कहां का कहां निकल जाता है,
बस इन्हीं यादों में खोकर
दिल बस इन्हीं यादों का हो जाना जाता है,
जिंदगी के उतार-चढ़ाव में
हम ना जाने कब इतना मशगुल हो जाते हैं,
जिंदगी की भाग दौड़ में हम
जिंदगी को जीना भूल जाते हैं,
चलो आज वापस
यादों की दुनिया में खो जाए,
कुछ पुरानी यादों में खोकर
उन यादों को फिर से जी आए।

Written by- Sakshi Jain

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रिश्तो की गहराई और अहमियत उसके चले जाने के बाद समझ आती है,
जब उस रिश्ते से सच्चाई और अच्छाई हमेशा के लिए चली जाती है,
समझोगे मेरे दिल के दर्द को तुम भी मेरे चले जाने के बाद, क्योंकि इंसान की कीमत तो उसके चले जाने के बाद ही समझ आती है।

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